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प्रसारण से पारदर्शिता

来源:लाड़ली लक्ष्मी योजना mp   作者:टुडे आईपीएल   时间:2023-11-29 15:47:05
सर्वोच्च न्यायालय में लाइव टेलीकास्ट के लिए कैमरे साढ़े दस बजे से कुछ समय पहले ही ऑन हो गए थे. कोर्ट स्टाफ मेजों को दुरुस्त कर रहा था. मंगलवार,प्रसारणसेपारदर्शिता 27 सितंबर को ठीक साढ़े दस बजे चीफ जस्टिस यू.यू. ललित समेत संविधान पीठ के पांच जज कोर्ट नंबर 1 में दाखिल हुए और उन्होंने वहां करीब सवा सौ वकीलों की मौजूदगी में अदालत को हाथ जोड़कर नमन किया और फिर कुर्सियों पर बैठे तो इस नजारे को साढ़े तीन हजार से ज्यादा लोग देख रहे थे. यही नजारा कोर्ट नंबर 2 की संविधान पीठ का था, जहां जस्टिस डी.वाइ. चंद्रचूड़ समेत संविधान पीठ के पांच जज पहुंचे. उन्होंने सबसे पहले वकील अभिषेक मनु सिंघवी की बात सुनी. कोर्ट नंबर 3 में संविधान पीठ के जज थोड़ी देर से पहुंचे. पौने 11 बजे तक करीब 9 हजार लोग तीनों अदालतों की कार्रवाई को लाइव देख रहे थे.चीफ जस्टिस ललित का कार्यकाल भले ही ढाई महीने का है पर उनकी अगुवाई वाली संविधान पीठ की कार्यवाही के सीधे प्रसारण से इतिहास रच गया. पीठ ने आर्थिक आधार पर आरक्षण का केस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया. तीनों संविधान पीठों की घंटों की लाइव स्ट्रीमिंग को रात होते-होते 8 लाख से अधिक लोगों ने यूट्यूब पर देखा. सुप्रीम कोर्ट ने इसे ऐतिहासिक पल बताया.आमतौर पर अदालतों का कामकाज आम आदमी के लिए रहस्य होता है. पारदर्शिता के लिहाज से सुप्रीम कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग मील का पत्थर है, इससे पहले संसद की कार्यवाही के सीधे प्रसारण से लोग देख सके कि कानून कैसे बनता है, नेता कैसा आचार-व्यवहार करते हैं. और अब कहीं भी बैठे लोग देख सकेंगे कि सर्वोच्च अदालत कैसे काम करती है. पर कुछ हाइकोर्ट इसमें आगे चल रहे हैं. गुजरात हाइकोर्ट में कोरोना काल से ही लाइव स्ट्रीमिंग चल रही है. गुजरात हाइकोर्ट के यूट्यूब चैनल के 1.1 लाख से अधिक सब्स्क्राइबर भी हैं. कुछ अन्य हाइकोर्ट भी लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे हैं और इनके यूट्यब चैनल पर कार्यवाही की रिकॉर्डिंग उपलब्ध है—इनमें मध्य प्रदेश हाइकोर्ट (36 हजार सब्स्क्राइबर), उड़ीसा हाइकोर्ट, कर्नाटक हाइकोर्ट (1 लाख से ज्यादा सब्स्क्राइबर) और पटना हाइकोर्ट (16.3 हजार सब्स्क्राइबर) शामिल हैं. गुवाहाटी हाइकोर्ट ने भी 26 सितंबर से लाइव स्ट्रीमिंग शुरू कर दी. वह दिन दूर नहीं जब देश के सभी हाइकोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग करने लगेंगे. लेकिन जानकार यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर सवाल भी उठाते हैं. दरअसल, सितंबर 2018 में जस्टिस दीपक मिश्रा की अदालत के एक फैसले में सीधे प्रसारण की अनुमति दी गई थी. इसके बाद अयोध्या विवाद की सुनवाई शुरू होने से पहले कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए के.एन. गोविंदाचार्य ने केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी और सुनवाई नहीं होने पर उन्होंने याचिका दायर की जो अब भी लंबित है. कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए लड़ने वाले वकील विराग गुप्ता कहते हैं, ''सुप्रीम कोर्ट के 2018 के फैसले के अनुसार, खुली अदालतों की कार्यवाही देखना लोगों का हक है और पारदर्शिता से न्यायपालिका की सड़ांध कम होगी. लेकिन यूट्यूब से प्रसारण में फैसले का उल्लंघन हो रहा है.''फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट की स्ट्रीमिंग की देखरेख और व्यवस्था नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआइसी) के हवाले है. साथ ही, लाइव स्ट्रीमिंग के लिए सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी ने व्यापक गाइडलाइंस (देखें बॉक्स) जारी की हैं, जिससे अनेक शंकाओं का भी समाधान होता है. इसके तहत पीठासीन जजों के पास एक रिमोट कंट्रोल होगा जिससे वे कभी भी सीधे प्रसारण को रोक सकते हैं. लाइव स्ट्रीमिंग का दुरुपयोग दंडनीय है. सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) कनु अग्रवाल कहते हैं, ''लाइव स्ट्रीमिंग से कोर्ट रूम की भीड़ कम होगी. अभी पक्षकारों के अलावा अन्य वकील भी कार्यवाही देखने कोर्ट में आ जाते हैं.''एक समय था जब कोर्ट में मोबाइल ले जाने की भी अनुमति नहीं थी. इस लिहाज से मौजूदा चीफ जस्टिस का कार्यकाल याद किया जाएगा, क्योंकि अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट विवादों से बचने के लिए ऑडियो रिकॉर्डिंग शाम को जारी करता है. उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में जल्द ही पेपरलेस सुनवाई की शुरुआत होगी. इसकी चर्चा लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान हुई जिसे सब सुन सकते हैं. ठ्ठ1. वैवाहिक मामले, बच्चों के गोद लेने और उनकी कस्टडी के मामले2. यौन अपराध, पॉक्सो, गर्भपात और नाबालिगों से जुड़े केस 3. ऐसे केस जिनसे कानून-व्यवस्था पर असर पड़े4. सीआरपीसी के तहत वर्णित वे केस जिनमें सुनवाई बंद कमरे में होती है5. अदालत को जो केस लाइव स्ट्रीमिंग लायक न लगें या इसे लाइव न करने का चीफ जस्टिस का निर्देश हो

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责任编辑:दिल्ली का मौसम

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